निरक्षर भी सीख सकते हैं कम्प्यूटर

जो लोग पढ़ नहीं पाते अब वो भी कंप्यूटर को समझ सकते हैं। ऐसा संभव हो पाया है नए टेक्स्ट-फ्री यूजर इंटरफेस से। इस इंटरफेस को माइक्रोसेफ्ट रिसर्च इंडिया की महिला एसोसिएट रिसर्चर ने विकसित किया है। इस इंटरफेस के जरिए कोई भी बिना पढ़ा-लिखा व्यक्ति कंप्यूटर को आसानी से समझ सकता है।

इंद्राणी मेधी ने इस इंटरफेस को विकसित किया। उन्होंने बताया कि इसकी डिजाइन के लिए 400 से अधिक विषयों को शामिल किया गया। इसे बनाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। खास-तौर पर भारत में फैली कई लो-इनकम और लो-ल्रिटेसी कम्युनिटी के लिए यूजर इंटरफेस को बनाने में कई दिक्कतें आईं। उन्होंने कहा कि नॉन-टेक्सचुअल यूजर इंटरफेस बनाने के लिए बिना टेक्स्ट के समझाना काफी चुनौतीभरा था। इसके लिए वॉयस, वीडियो और ग्राफिक्स के कांबिनेशन का प्रयोग किया गया। मेधी के इस अप्लीकेशन में बातों को समझाने के लिए कुछ प्रिसिंपल का प्रयोग किया गया। इनमें हाथ से बनी आकृतियां, काटरून, क्षेत्रीय भाषाओं की आवाज, माउस का ज्यादा प्रयोग, फीचर और वीडियो मुख्य रूप से शामिल हैं।

इनके जरिए लोगों को आसानी से कंप्यूटर से इंटरैक्ट कराया जा सकता है। वो भी ऐसे लोग जिन्हें पढ़ना नहीं आता है।मेधी की यह खोज चार अप्लीकेशस पर अप्लाई होंगे। लेबर बाजार में जॉब सर्च, हेल्थ इन्फॉर्मेशन, मोबाइल मनी-ट्रांसफर और इलेक्ट्रॉनिक मैप के लिए। माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च इंडिया के पूर्व असिस्टेंट मैनेजिंग डायरक्टर केंतारो टोयामा ने कहा कि मेधी ने इस खोज के लिए काफी मेहनत की है। उन्होंने कहा कि निरक्षर लोगों को समझ में आने वाले कंप्यूटिंग डिवाइस के लिए यूजर इंटरफेस बनाने पर काफी रिसर्च किया गया है। यहां तक अगर कोई पहली बार कंप्यूटर को चलाने बैठा है तो भी यह डिवाइस बड़े काम की साबित हो सकती है।

टोयामा ने बताया कि मेधा ने लोगों की जरूरत को समझने के लिए काफी समय झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों के साथ व्यतीत किया। उस दौरान उन्होंने उनकी रोजमर्रा की जरूरतों के बार में समझा। टोयामा के मुताबिक मेधा ने ऐसा डिवाइस तैयार किया है जो आसानी से समझ में आने वाला है, क्योंकि इसमें आकृतियों और वॉयस का अच्छा समावेश है।

यहीं नहीं, उन्होंने इसमें आसानी से समझाने के लिए फोटो की जगह ज्यादातक काटरून का प्रयोग किया है। साथ में साधारण आकृतियों और नंबरों का भी यूज हुआ है। इससे निरक्षर लोग आसानी से बात समझ पाएंगे। मेधा की इस खोज से निरक्षर लोगों के मन में बैठा डर दूर होगा। डर तकनीकी का, डर तकनीक को खराब करने का और डर उसे सीखने का। इससे ऐसे लोगों का मनोबल भी बढ़ेगा। इस डिवाइस में मेधी ने त्नफुल-कांटेक्स्ट वीडियोत्न का प्रयोग किया है। कई कहानियां भी दी गई है। ऐसी कहानियां जो समझाएं कि तकनीकी कैसे काम करती है। खास बात यह कि यह कहानियां लोगों के आम-जीवन से जुड़ी हुई हैं। मेधी अब काफी कम पढ़े-लिखे लोगों के लिए यूजर इंटरफेस तैयार करने के लिए रिसर्च कर रही हैं।

(बिजिनेस भास्कर से)

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