दूध दूध दूध – दूध है वंडरफुल....

दूध की देश में काफी मांग हैं और भारत दूध उत्पादन के क्षेत्र में विश्व में पहलेनंबर पर है। लेकिन तरल दूध को लंबे समय तक भंडारित करके नहीं रखा जासकता है। इसी कारण दूध को अधिक समय तक सुरक्षित रखने के विभिन्नउपाय किए जा रहे हैं, जिसमें दूध को पाउडर बनाने की प्रौद्योगिकी काफीलोकप्रिय है। अधिक समय तक सुरक्षित रखने और कई उत्पादों में उपयोग केकारण दूध पाउडर की देश में काफी मांग है। इसके अलावा दूध को पाउडर केरूप में अधिक समय तक एवं अधिक मात्रा में भंडारित किया जा सकता है। इसका आसानी से परिवहन भी कियाजा सकता है।

दूध पाउडर बनाने की विधियां
दूध का पाउडर आमतौर पर दो प्रकार से तैयार किया जाता है। स्प्रे-ड्राइड प्रक्रिया द्वारा और रोलर ड्राइड प्रक्रिया सेदूध का पाउडर तैयार किया जाता है। स्प्रे-ड्राइड प्रक्रिया में काफी भारी निवेश और काफी बड़े स्थान की आवश्यकताहोती है। अधिकतर बड़े दूध के संयंत्रों में स्प्रे ड्राइड प्रक्रिया द्वारा ही अतिरिक्त दूध को पाउडर में परिवर्तित कियाजाता है और जब तरल दूध की मात्रा कम होती है, तो पाउडर को दूध में बदलकर बाजार में बेचा जाता है। स्प्रे ड्राइडप्रक्रिया से तैयार किया गया दूध पाउडर काफी अच्छी गुणवत्ता वाला होता है, इसीलिए बाजार में बेचे जाने वाले दूधमें, बच्चों के दूध पाउडर आदि में स्प्रे ड्राइड प्रक्रिया से तैयार दूध पाउडर ही उपयोग में लाया जाता है।

छोटे स्तर पर रोलर ड्राइड प्रक्रिया द्वारा दूध पाउडर तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया से तैयार दूध पाउडर थोड़ामोटे दानों वाला होता है और इसका उपयोग बेकरी, गुलाब जामुन मिक्स और अन्य पकवानों में होता है। रोलरड्राइड प्रक्रिया में लागत काफी कम आती है और इसके लिए काफी कम स्थान की आवश्यकता होती है। यहां रोलरप्रक्रिया द्वारा दूध पाउडर तैयार करने की विधि और इसके उत्पादों के बार मंे बताया जा रहा है।

रोलर ड्राइड प्रक्रिया स्थापित करने की लागत
रोलर ड्राइड प्रक्रिया के लिए दो लोहे के बड़े सलेंडर होतें हैं, जिन्हे बराबर लिटाकर मोटर लगी मशीन पर स्थापितकिया जाता हैं। यह रोलर करीब 15 से 19 चक्र प्रति मिनट की गति से घूमता है और इन सिलेंडरों में भाप मौजूदरहती है। रोलर संयंत्र स्थापित करने के लिए आवश्कता के मुताबिक छोटा बॉयलर, दूध को उबालने के लिए बड़ीकड़ाही, स्टील पाइप, मिल्क पंप, रोलर को घूमाने के लिए मोटर और पैकिंग सामग्री की जरूरत होती है।

उत्तर प्रदेश में स्थित मिल्क टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके कामरान सिद्दीकी ने हमें बताया कि 1,000 लीटर की क्षमता वाले बॉयलर काखर्च करीब 8 लाख रुपये आता है, इसमें रोलर से जुड़ी सभी पाइप भी शामिल हैं, इसके अलावा रोलर ड्रम पर करीबलाख रुपये का खर्च आता है और इन्हे कास्ट आइरन से तैयार किया जाता है। सिद्दिकी का कहना है कि पानी कीटंकी कम से कम 10,000 लीटर क्षमता की होनी चाहिए, क्योंकि दूध के काम में साफ-सफाई बेहद महत्वपूर्णहोती है। पंप, मोटर को मिलाकर रोलर ड्राइड दूध पाउडर के संयंत्र पर कुल लागत करीब 15 लाख रुपये तक आतीहै। सिद्दीकी का कहना है कि उनकी कंपनी रोलर ड्राइड पाउडर तैयार करने के साथ ही उसके उत्पाद जैसेगुलाबजामुन मिक्स, बिस्कुट आदि भी तैयार करती है।

रोलर ड्रम से दूध पाउडर बनाने की प्रक्रिया
आमतौर पर क्रीम निकाले गए दूध यानि स्किम्ड (सप्रेटा) दूध से पाउडर तैयार किया जाता है। प्रक्रिया में सबसेपहले दूध को उबालकर गाढ़ा कर लेते हैं। इसके बाद सिलेंडर में भाप छोड़कर इनका तापमान करीब 150 डिग्रीसेंटीग्रेड तक लाया जाता है। दोनों सिलेंडर विपरीत दिशाओं में घूमते रहते हैं और इन पर बूंद-बूंद करके दूधटपकाया जाता है। ड्रम के गर्म होने के कारण दूध में मौजूद पानी तुरंत भाप बनकर उड़ जाता है और सूखा पाउडरड्रम पर चिपक जाता है। -अनुराग शर्मा बिजिनेस भास्कर से साभार...

1 comment:

Udan Tashtari said...

आभार जानकारी का!