अभिव्यक्ति,- विचारों की और आपकी भावनाओं की

अभिव्यक्ति, विचारों की और आपकी भावनाओं की, हम अभिव्यक्ति के जरिए प्रेरणा, डर , निवारण, उकसाना, संतुष्टि, आघात, निराशा, साहस,शिक्षा, कलंक, विचारों का आदान-प्रदान, उदासी, सिद्धांत, साहस, शिक्षा, प्रतिबन्ध, धन्यवाद, परिहास, आलोचना, आनंद, कोप, शेखी बघारना, आरामदेह, बेइज्जती, ललकारना और क्षमायाचना को नया आयाम दे सकते हैं. याद कीजिये आपने अपने शब्दों के इस्तेमाल से पहले कितने बार उसे इस्तेमाल करने के बारे में विचार किया है , शायद कम ही निकलेगा, यह एक सामान्य मानव व्यव्हार है, घटिया और सुंदर शब्द के बीच कुछ इस तरह का अंतर होता है जैसा बिजली की कौंध और जुगनू के बीच होता है। शब्दों का चयन यहाँ महत्त्व पूर्ण नहीं है महत्त्व पूर्ण है उसकी अभिव्यक्ति, चूंकि अभिव्यक्ति का एक साधन शब्द भी हैं लेकिन प्रभाव पैदा करने के लिए अन्य कारक भी महत्त्वपूर्ण हैं. जैसे बोलते समय आपकी मनोदशा, आपकी भाव भंगिमाएं, आपकी आवाज का उतार चढाव, आदि.....
आप जब कुछ कह रहे होते हैं तब आप इस बात को लेकर सतर्क रहते हैं कि मेरी अभिव्यक्ति का क्या प्रभाव हो रहा है या फिर आप उसका इस्तेमाल किस तरीके से कर सकेंगे? आप अपनी बात रखने से पूर्व यह जानने की कोशिश कर सकते हैं कि हमारे शब्द किस तरह घृणा, प्रेम, प्रेरणा, स्वीकृति, क्रोध, दयालुता, आदर, तल्खी और बुद्धि जैसे आयामों को अभिव्यक्ति दे सकते हैं.
सोचिये आपकी अभिव्यक्ति वरदान किस तरह साबित हो सकती है? क्या आप शब्दों के जरिए चुटकुले, कहकहे, आंसू, कविता पाठ और उम्मीद जैसे भावों को जगा सकते हैं? यदि मैं आपसे पूछूँ कि क्या आप कभी किसी की टिप्पणी से दुखी हुए हैं? सभी का एक ही जवाब होगा कि कई बार। इसी लिए तो कहा गया है कि शरीर के जख्म का दाग तो मिट भी जाता है लेकिन जबान से पैदा हुए जख्म को भर पाना मुश्किल होता है। शब्दों से किसी के मन के जख्म को भरा जा सकता है। शब्दों के बढ़िया इस्तेमाल से किसी को ऊपर उठाया जा सकता है और किसी को समर्थन दिया जा सकता है।किसी के जीवन को संवारा जा सकता है या कि ख़त्म किया जा सकता है.
यह सोचना और भी जरूरी हो जाता है जब कि आप लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के मिशन मैं लगे हों, अभिव्यक्ति के प्रदर्शन से पहले उसके प्रभाव के बारे मैं अवश्य सोचें, लेकिन सबसे ऊपर अपने लक्ष्य को ही रखें । सबसे बड़ी सफलता है कि आपके साथ काम करने वाले लोग कितने उत्साहित है कभी आपने सोचा है कि उनका उत्साह कैसे बढे और उनमें काम के प्रति अपनत्व का भाव कैसे पैदा हो, लोगों को उत्साहित करना इसका एक ताकतवर माध्यम हो सकता है, कल्पना कीजिए कि आप हर रोज दो लोगों को उत्साहित करते हैं और यदि आप उन दोनों व्यक्तियों को इस बात के लिए भी तैयार कर पाते हैं कि वे दोनों कल दो और लोगों को प्रेरित कर सकें यह आपके लक्ष्यों कि पूर्ती मैं सबसे बड़ा सहारा बनेगा और स्थाई विकास कि नीव भी रखेगा । जब हम महिलाओं के सशक्तिकरण कि प्रक्रिया में भागीदार है तो हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है, क्योंकि जहाँ हमें महिलाओं को इसके लिए सशक्त करना है वहीँ दूसरी और समाज को भी इसमें सहयोग के लिए तैयार करना है। तो पहचानिए अपनी अभिव्यक्ति कि ताकत और कोशिश कीजिये लोगों का प्रेरणा स्त्रोत होने का । बस इतना कीजिये.......reff -chakgaloji

संजीव परसाई


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