बदलाव की शुरुआत

चेतना समाज सेवा शिक्षा एवं विकास समिति नौगांव द्बारा में तेजस्विनी ग्रामीण महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम पन्ना में लोकेशन - पवई एवं सिमरिया क्षेत्र के 64 ग्रामो में कार्य कर रही है। यह ग्राम क्षेत्र जिला मुख्यालय से 70 से 80 किलोमीटर की दूरी पर है जहाँ तेजस्विनी कार्यक्रम के अर्न्तगत समूह बने हुये है अधिक से अधिक ग्राम दमोह, कटनी व छतरपुर जिले के सीमावर्ती है, जहाँ आवागमन के व्यवस्थित साधन न होने, नदी नाले व दुर्गम रास्ते है , शिक्षा, स्वास्थ्य, जागरूकता व रोजगार का अभाव है। सामन्तशाही का बोल बाला है इस भयावह माहौल में महिलाओं का आवाज उठाना तो दूर पुरूष भी दुस्साहस नहीं कर पाते थे, महिलाओं के साथ छेड़छाड़, हिंसा जैसे घटनायें आम बात है। यही वह तेजस्विनी कार्यक्रम की सिमरिया लोकेशन है जहाँ एक वर्ष पूर्व सिमरिया पुलिस थाने के अंदर कई दिनों तक एक महिला के साथ बलात्कार हुआ था जिसकी खबर मध्यप्रदेश के समाचार-पत्रों व न्यूज चैनलो में थी तत्पश्चात राज्य शासन व राज्य महिला आयोग की दखलंदाजी से दोषी थानेदार को सलाखों के पीछे भेजा गया। जहाँ के ग्राम - हथकुरी (पवई) में सामूहिक नरसंहार हुआ था इन्ही सब कारणों से विकास यहाँ से कोसों दूर है ।
विकास में पिछड़े इस क्षेत्र में महिलाओं के लिये तेजस्विनी ग्रामीण महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम की शुरूआत हुई यहाँ के ग्रामीण युवक युवतियों व महिलाओं को काम करने के लिये आमंत्रित किया गया तो उन्हे यकीन नही हो रहा था कि कोई ऐसी भी योजना है जो हमें अपने लोगों के बीच में काम करने के ऐवज मे मानदेय मिलेगा। दूसरों को नौकरी करते देख लोगो ने अपनी बेटियों व महिलाओ को पढ़ने के लिये भेजा। महिलाओं द्वारा अपनी बात रखने का साहस समूहो में जुटने लगा, जो महिलाये साहूकार से पैसा लेकर ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज के कर्जदार हो जाती थी उन महिलाओं ने बचत करके आपसी लेना देना शुरू किया और कभी अपने घर के इस्तेमाल के लिये कभी बच्चो की पढ़ाई के लिये, कभी मनिहारी दुकान खोलने के लिये, खेती के लिये खाद बीज लेने के लिये ब्याज पर समूह से पैसे लेने लगे और ब्याज सहित वापिस करने लगे।रोजगार गारंटी योजना के जॉब कार्ड जो सरपंच या सचिवों के पास रखें रहते थे और मजदूरी के रूप में केवल 40 रूपये मिलते थे पर अब महिलाओं ने अपनी जागरूकता व प्रशिक्षणों से सीखकर सरपंच व सचिव पर दबाव बनाकर अपने जॉब कार्ड वापस लिये तथा मजदूरी का पूरा भुगतान लेने लगी है। महिलाओं के प्रति पुरुषों का नजरिया बदल गया है महिलाओं के रोजगार में पुरूष हाथ बटाने लगे है। प्रसव घर पर न होकर स्वास्थ्य केन्द्रो में होने लगे है मोबलाईजर की मदद से दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना के कार्ड महिलाओं ने बनवाना शुरू किये है। महिलाओ को टीकाकरण की जानकारी हो गई है कौन से टीके कब लगना है उन्हें मालूम है। ग्राम निवारी (सिमरिया) की महिलाओं ने अपने मुहल्ले में लाईट के खम्भो की मांग के लिये विधुत-विभाग सिमरिया का घेरावकर जूनियर इंजीनियर को आवेदन दिया तथा रैली के रूप में महिला-शक्ती के नारे लगाते हुये नायब तहसीलदार को ज्ञापन सौपा। तत्पश्चात एक माह बाद बिजली के खम्भे लगाने के लिये क्षेत्रीय विधायक व सांसद को आमंत्रित कर ज्ञापन दिया। क्लस्टर - सिमराकला (पवई) में महिलाओं ने ग्राम स्तरीय बैठक के दौरान SDM आये, स्कूल समय पर न खुलने के मुद्दे को लेकर एवं शिक्षक द्वारा स्कूल में शराब पीकर आने पर गांव में स्कूल प्रशासन के खिलाफ नारे लगाते हुये स्कूल का घेरावकर शिक्षकों को समय पर स्कूल खोलने के लिये पहले खबरदार किया। फिर पवई से जाकर इसकी शिकायतकर जांच की मांग की, महिलाओं द्वारा किये गये इस प्रयास के परिणाम स्वरूप SDM ने स्कूल का निरीक्षण कर समस्या का समाधान किया। जिससे गाँव वालों को महिलाओं की ताकत का एहसास हुआ फिर गाँव में महिलाओं को सम्मान बढ़ा। शुरूआती दौर में महिलाओ के खाते खोलने से बैंक मैनेजर्स मनाकर देते थे आज महिलाये स्वयं बैंक जाकर लेने-देन करने लगी।पहले महिलायें ग्राम सभा की मीटिंग में न जाती थी न कोई बुलाता था उन्हे एहसास ही नही था कि हम महिलाओं को भी कोई वहां बैठने देगा आज महिलायें ग्राम-सभा में जाकर अपनी बात रखती है तथा गाँव के विकास संबंधी कार्यो के प्रस्ताव डलवाकर अनुमोदन कर कार्य करवा रही है तथा आगे के पंचायत चुनाव में अपनी महिला प्रतिनिधियों को चुनाव लड़कर जीतने की तैयारी में लग गई है। लोकेशन सिमरिया के क्लस्टर उड़ला के ग्राम सिरसी की महिलाओं ने अपने-अपने घरों में शौचालय बनवाने का बीड़ा उठाया है जिसमें समग्र स्वच्छता अभियान ज्ण्ैण्ब्ण् के माध्यम से शौचालय बनवाने का प्रयास किया जा रहा है। लोकेशन - पवई के ग्राम करही में टण्स्ण्ब्ण् की महिलाओं की एक जुटता को देखकर ग्राम पंचायत ने पुराना पंचायत प्रशिक्षण केन्द्र व दो कमरे टण्स्ण्ब्ण् को बैठक करने के लिये दे दिये है।महिलाओं को उद्यानिकी विभाग से प्राप्त सब्जी किट प्रदान करवाकर गाॅव में सब्जियों का उत्पादन व आर्चेड स्कीम के तहत फलदार पौधे, फैन्सिंग पम्प आदि प्राप्त हो रहे है जिससे भविष्य में महिलाओं के लिये रोजगार के अवसर सृजित हो रहे है।इस प्रकार तेजस्विनी कार्यक्रम के मात्र 18 माह का सफलतम प्रभाव क्षेत्र में व महिलाओं में स्पष्ट नजर आता है जो हमारे इस बुन्देलखण्ड क्षेत्र की महिलाओं के लिये सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसी प्रकार से हमारी टीम का महिलाओं को अग्रणी बनाने का सतत् प्रयास पूरी लगन व मेहनत से चलता रहेगा। जिससे समूहो को स्थायित्व प्रदान कर एक सशक्त संस्थागत स्वरूप प्राप्त हो सकें।

विनय श्रीवास
चेतना समाज सेवा शिक्षा एवं विकास समिति नौगांव

2 comments:

निर्मला कपिला said...

बहुत प्रेरक प्रसंग है बहुत बहुत बधाई

संजीव परसाई said...
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