तेजस्विनी कार्यक्रम अंतर्गत लोकेशन शहपुरा, कंचनपुर संकुल के ग्राम पथरकटा में तीन समूह तेजस्विनी दुर्गा ,लक्ष्मी तथा नर्मदा स्वसहायता समूह गठित किये गये हैं। समूहों की बैठक के दौरान जब सामाजिक मुददों पर चर्चा की जाने लगी तो चर्चा के ही दौरान बात उठी ग्राम के आंगनवाड़ी केन्द्र में अव्यवस्थाओं की। सभी सदस्यों ने बताया कि आंगनवाड़ी केन्द्र पर पिछले चार माह से ताला लगा है और ग्राम की महिलाओं और बच्चों को आंगनवाड़ी की योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा है।आंगनवाड़ी की अव्यवस्थाओं से तंग आ चुकी महिलाओं ने समूह में निर्णय लिया कि हम इस अव्यवस्था को दूर करके ही रहेंगे। यह प्रण करके उन्होंने अगले दिन समस्त सदस्यों के साथ जाकर आंगनवाड़ी केन्द्र में ताला लगा दिया कार्यकर्ता को इसकी सूचना दे दी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने ग्राम में आकर महिलाओं से पूछा कि आप लोगों ने ताला क्यों लगाया है। तब महिलाओं द्वारा कहा गया कि शासन के द्वारा ग्राम में आंगनबाड़ी केंद्र खोलकर ग्राम के बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को सही समय पर टीकाकरण एवं पोषण आहार आदि कार्य कराना जाना सुनिश्चित किया है। परंतु आज तक हमारे ग्राम की महिलाओं को किसी भी प्रकार की कोई योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है और आपके द्वारा विगत चार माह से आंगनबाड़ी केंद्र बंद किया हुआ है इसलिए हम सभी महिलाओं ने विचार कर केंद्र में ताला लगा दिया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए सभी महिलाओं से माफी मांगी और बोली की आज के बाद मैं आप लोगों को शिकायत का मौका नहीं दूंगी। तब सभी समूह की महिलाओं ने इस वादे के साथ केन्द्र का ताला खोला कि अब आंगनवाड़ी रोज खुलेगी और प्रत्येक पात्र को इसका लाभ मिलेगा।आज उपरोक्त ग्राम में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा सही समय में आंगनबाड़ी केंद्र खोला जा रहा है एवं गर्भवती माताओं एवं बच्चों को पोषण आहार व दलिया का वितरण किया जा रहा है। ग्राम के लोग भी व्यवस्था के संचालन में स्वसहायता समूहों के दखल से चकित हैं और प्रसन्न भी।
श्रीमती सीता दुबे
क्लस्टर - कंचनपुर
लोकेशन - शाहपुरा
6 comments:
swagat hai !
ye hui naa koi baat.narayan narayan
Bahut sundar rachana..really its awesome...
Regards..
DevSangeet
आदरणीय
सबसे पहले एक बेहतर प्रयास के लिये बधाई। महिला सशक्तिकरण के जिस महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी आपने इस माध्यम से उठाई हैं, वह सचमुच सराहनीय हैं। वैसे भी जिन महिलाओं को सशक्त करने की जिम्मेदारी आपने उठाई है उनके बारे में मैं यही कह सकता हॅू कि
उनकी चर्चा अखवारों में नहीं हांेती,
कोई उन्हें सर्वश्रेष्ठ होने का अवार्ड नहीं देता,
क्योंकि वे चुपचाप जिम्मेदारियों को लेती हैं,निभाती हैं
रिश्तों को सहेजती हैं,घरों को संवारती
हर परिवार एंव गाॅव में ऐसी कर्मठ स्नेही महिलाएं हैं
आपकी परियोजना शायद उन्ही को सशक्त करने की हैं।
विकास कार्यो से जुड़ कर कार्य करते हुए मैंने महसूस किया हैं। महिला सशक्तिकरण की मूल भावना को समाज की सोच में बदलाव लाकर ही प्राप्त किया जा सकता हैं। महिलाओं के विकास में सबसे बड़ी बाधा पुरुष वर्ग की वह सोच है, जो सदियों से बेड़ियां का काम कर रही हैं। महिलाएं सदैव आगे बढ़ने को तैयार। लेकिन उनके घर से बाहर निकलने पर जो पुरुष सोच का ताला लगा हैं,उसे खोलकर ही आप अपने अभियान को आगे बढ़ा सकते हैं। इसलिये यदि महिला सशक्तिकरण की जरुरत है तो पुरुष संवेदीकरण की पहली जरुरत हैं। मुझे लगता है कि आपका ब्लाग समाज की इसी सोच में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा तथा समाज से यह आव्हान करने में सफल होगा कि -
मुमकिन है सफर आसंा हो जाए, हम साथ भी चलकर देखे,
कुछ तुम भी बदलकर देखों, कुछ हम भी बदल कर देखें।
पुनः अच्छे प्रयास के लिये बधाई।
संजय सक्सेना
विषय विशेषज्ञ(सम्प्रेषण)
ग्रामीण आजीविका परियोजना
पंचायत एंव ग्रामीण विकास विभाग
जिला पंचायत,झाबुआ
हिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
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