सुरक्षा की सबसे पहली जिम्मेदारी खुद की है

(जिला कार्यक्रम प्रबंधक मंडला से चर्चा के अनुसार बताया गया की महिला मोब्लाईज़र के साथ गाँव में कुछ ऐसी हरकतें हुई हैं जो की छेड़छाड़ की श्रेणी में आती हैं, महिला ब्लॉग चोखेर बाली पर आर अनुराधा ने इससे बचने के कुछ टिप्स दिए हैं, शायद काम आ सकें)
ऐसे में, और वैसे भी जरूरी है कि हम अपनी सुरक्षा आप करने की पहल करें। अपराधों के खिलाफ कुछ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सुरक्षा टिप्स के कुछ पॊइंट्स हम सब जानें, समझें और अमल में लाने की कोशिश करें। आखिर अपनी सुरक्षा की सबसे पहली जिम्मेदारी खुद की है।
*पैदल चलते समय-हमेशा सतर्क रहें।
*अपने आस-पास के लोगों, माहौल के बारे में सजग और चौकन्ने रहें, खास तौर पर अंधेरी, संकरी जगहों पर। जहां तक हो सके, अंधेरी जगहों में न जाएं, रौशनी वाले इलाके में ही रहें।
*हो सके तो पतली गलियों से न गुज़रें, चौड़े, खुले और आबादी वाले रास्तों से जाएं।
*झाड़ियों, पगडंडियों, दरवाजों के पीछे कोई छुपा हो सकता है, इसलिए इनसे से दूर हट कर चलें।
*पूरे आत्मविश्वास के साथ एक-समान चाल से चलें। आस-पास चल रहे लोगों से नज़रें चुराने की कोशिश न करें। सहज रहें।
*रास्ते में अजनबियों से बातचीत के जवाब में रुकें नहीं, चलते रहें।
*अगर कोई गले पड़ ही जाए तो विपरीत दिशा में दौड़ें। इससे हमारे आस-पास के लोग सजग हो जाएंगे और हमें मदद मिल पाएगी।
*खतरे की आशंका को भांपते ही शोर और खतरे में औरों से मदद मांगें।
बस में यात्रा करते समय-
*किसी खाली बस स्टॊप पर रहने से बचें।
*बस के आने तक सड़क के एकदम किनारे पर खड़े होने से बचें।
*सहयात्रियों के प्रति सतर्क रहें। एकदम खाली बस में चढ़ने के पहले दोबारा सोचें।
*सहयात्री परेशान करे तो सीट बदल लें और ड्राइवर/कंडक्टर को बताएं।
*खाली बस में जहां तक हो सके ड्राइवर के नज़दीक वाली सीट पर बैठें।
आर अनुराधा

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