"महिलाएं सदैव आगे बढ़ने को तैयार हैं । लेकिन उनके घर से बाहर निकलने पर जो पुरुष सोच का ताला लगा हैं, उसे खोलकर ही आप अपने अभियान को आगे बढ़ा सकते हैं। इसलिये यदि महिला सशक्तिकरण की जरुरत है तो पुरुष संवेदीकरण की जरुरत पहली है।"
सबसे पहले एक बेहतर प्रयास के लिये बधाई। महिला सशक्तिकरण के जिस महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी आपने इस माध्यम से उठाई हैं, वह सचमुच सराहनीय हैं। वैसे भी जिन महिलाओं को सशक्त करने की जिम्मेदारी आपने उठाई है उनके बारे में मैं यही कह सकता हूँ कि उनकी चर्चा अखवारों में नहीं होती, कोई उन्हें सर्वश्रेष्ठ होने का अवार्ड नहीं देता, क्योंकि वे चुपचाप जिम्मेदारियों को लेती हैं, निभाती हैं, रिश्तों को सहेजती हैं, घरों को संवारती, हर परिवार एंव गाँव में ऐसी कर्मठ स्नेही महिलाएं हैं आपकी परियोजना शायद उन्हीं को सशक्त करने की हैं। विकास कार्यो से जुड़ कर कार्य करते हुए मैंने महसूस किया हैं, महिला सशक्तिकरण की मूल भावना को समाज की सोच में बदलाव लाकर ही प्राप्त किया जा सकता हैं। महिलाओं के विकास में सबसे बड़ी बाधा पुरुष वर्ग की वह सोच है, जो सदियों से बेडियों का काम कर रही हैं। महिलाएं सदैव आगे बढ़ने को तैयार हैं । लेकिन उनके घर से बाहर निकलने पर जो पुरुष सोच का ताला लगा हैं, उसे खोलकर ही आप अपने अभियान को आगे बढ़ा सकते हैं। इसलिये यदि महिला सशक्तिकरण की जरुरत है तो पुरुष संवेदीकरण की जरुरत पहली है। मुझे लगता है कि आपका ब्लाग समाज की इसी सोच में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा तथा समाज से यह आव्हान करने में सफल होगा कि -
मुमकिन है सफर आसां हो जाए, हम साथ भी चलकर देखे
कुछ तुम भी बदलकर देखो , कुछ हम भी बदल कर देखें।
पुनः अच्छे प्रयास के लिये बधाई।
संजय सक्सेना, विशेषज्ञ(सम्प्रेषण)
ग्रामीण आजीविका परियोजना ,पंचायत एंव ग्रामीण विकास विभागजिला पंचायत,झाबुआ
1 comment:
This Is A Very good Idea. Currently In India, When We Discuss To Shift At Moon Or Mars,Indian Weman Counted Very Back In World. I'm Agree With Sanjay Ji "यदि महिला सशक्तिकरण की जरुरत है तो पुरुष संवेदीकरण की जरुरत पहली है।"
Updesh Saxena,
Journalist
New Delhi.
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