सुधीर तिवारी
पंचायती राज संस्थायें भारत में लोकतंत्र की मेरूदंड है। निर्वाचित स्थानीय निकायों के लिए विकेन्द्रीकृत, सहभागिय और समग्र नियोजन प्रक्रिया को बढाव़ा देने और उन्हें सार्थक रूप प्रदान करने के लिए पंचायती राजमंत्रालय ने अनेक कदम उठाए हैं।
पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष (बीआरजीएफ)
इस योजना के तहत अनुदान प्राप्त करने की अनिवार्य शर्त विकेन्द्रीकृत, सहभागिय और समग्र नियोजन प्रक्रियाको बढाव़ा देना है। यह विकास के अन्तर को पाटता है और पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) और उसकेपदाधिकारियों की क्षमताओं का विकास करता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि स्थानीयआवश्यकताओं को पूरा करने में बीआरजीएफ अत्यधिक उपयोगी साबित हुआ है और पीआरआई‘ज तथा राज्योंने योजना तैयार करने एवं उन पर अमल करने का अच्छा अनुव प्राप्त कर लिया है। बीआरजीएफ के वर्षके कुल 4670 करोड़ रुपए के योजना परिव्यय में से 31 दिसबर, 2009 तक 3240 करोड़ रुपए जारीकिये जा चुके हैं।
ई-गवर्नेंस परियोजना
2009-10 एनईजीपी के अन्तर्गत ईपीआरआई की पहचान मिशन पद्धति की परियोजनाओं के ही एक अंग के रूप में की गईहै। इसके तहत विकेन्द्रीकृत डाटाबेस एवं नियोजन, पीआरआई बजट निर्माण एवं लेखाकर्म, केन्द्रीय और राज्यक्षेत्र की योजनाओं का क्रियान्वयन एवं निगरानी, नागरिक-केन्द्रित विशिष्ट सेवायें, पंचायतों और व्यक्तियों कोअनन्य कोड (पहचान संख्या), निर्वाचित प्रतिधिनियों और सरकारी पदाधिकारियों को ऑन लाइन स्वयं पठन माध्यम जैसे आईटी से जुड़ी सेवाओं की सम्पूर्ण रेंज प्रदान करने का प्रस्ताव है। ईपीआरआई में आधुनिकता औरकार्य कुशलता के प्रतीक के रूप में पीआरआई में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाने और व्यापक आईसीटी (सूचना संचारप्रविधि) संस्कृति को प्रेरित करने की क्षमता है।
ईपीआरआई में सभी 2.36 लाख पंचायतों को तीन वर्ष के लिए 4500 करोड़ रुपए के अनन्तिम लागत सेकम्प्यूटरिंग सुविधाएं मय कनेक्टिविटी (सम्पर्क सुविधाओं सहित) के प्रदान करने की योजना है। चूंकि पंचायतें, केन्द्र राज्यों के कार्यक्रमों की योजना तैयार करने तथा उनके क्रियान्वयन की बुनियादी इकाइयां होती हैं, ईपीआरआई, एक प्रकार से, एमएमपी की छत्रछाया के रूप में काम करेगा। अतः सरकार, ईएनईजीपी के अन्तर्गतईपीआरआई को उच्च प्राथमिकता देगी। देश के प्रायः सभी राज्यों (27 राज्यों) की सूचना और सेवाआवश्यकताओं का आकलन, व्यापार प्रक्रिया अभियांत्रिकी और विस्तृत बजट रिपोर्ट पहले ही तैयार की जा चुकीहैं और परियोजना पर अब काम शुरू होने को ही है।
महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण
राष्ट्रपति ने 4 जून, 2009 को संसद में अपने अभिभाषण में कहा था कि वर्ग, जाति और लिंग के आधार पर अनेकप्रकार की वर्जनाओं से पीड़ित महिलाओं को पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण के फैसले से अधिक महिलाओं कोसार्वजनिक क्षेत्र में प्रवेश का अवसर प्राप्त होगा। तद्नुसार मंत्रिमंडल ने 27 अगस्त, 2009 को संविधान की धाराघ को संशोधित करने के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया ताकि पंचायत के तीनों स्तर की सीटों और अध्यक्षोंके 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित किये जा सकें। पंचायती राज मंत्री ने 26 नवम्बर, 2009 कोलोकसभा में संविधान (एक सौ दसवां) सशोधन विधेयक, 2009 पेश किया।
243 वर्तमान में, लगभग 28.18 लाख निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों में से 36.87 प्रतिशत महिलायें हैं। प्रस्तावितसंविधान संशोधन के बाद निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या 14 लाख से भी अधिक हो जाने की आशा है।
पंचायती राज संस्थाओं को कार्यों, विभाग और पदाधिकारियों का हस्तान्तरण
पंचायतें जमीनी स्तर की लोकतांत्रिक संस्थायें हैं और कार्यों, विभाग तथा पदाधिकारियों के प्रभावी हस्तांतरण सेउन्हें और अधिक सशक्त बनाए जाने की आवश्यकता है। इससे पंचायतों द्वारा समग्र योजना बनाई जा सकेगी औरसंसाधनों को एक साथ जुटाकर तमाम योजनाओं को एक ही बिन्दु से क्रियान्वित किया जा सकेगा।
ग्राम सभा का वर्ष
पंचायती राज के 50 वर्ष पूरे होने पर 2 अक्तूबर, 2009 को समारोह का आयोजन किया गया। स्वशासन में ग्रामसभाओं और ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के महत्व को देखते हुए 2 अक्तूबर, 2009 से 2 अक्तूबर, 2010 तक की अवधि को ग्राम सभा वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। ग्राम सभाओं की कार्य प्रणाली मेंप्राथमिकता सुनिश्चित करने के सभी संभव प्रयासों के अतिरिक्त, निम्नलिखित कदम उठाए जा रहे हैं--पंचायतों, विशेषतः ग्राम सभाओं के सशक्तीकरण के लिए आवश्यक नीतिगत, वैधानिक और कार्यक्रम परिवर्तन, पंचायतों मेंअधिक कार्य कुशलता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु सुव्यवस्थित प्रणालियों और प्रक्रियाओं कोऔर ग्राम सभाओं तथा पंचायतों की विशिष्ट गतिविधियों को आकार देना और ग्राम सभाओं तथा पंचायतों कीविशिष्ट गतिविधियों के बारे में जन-जागृति फैलाना।
न्याय पंचायत विधेयक, 2010
वर्तमान न्याय प्रणाली, व्ययसाध्य, लम्बी चलने वाली प्रक्रियाओं से लदी हुई, तकनीकी और मुश्किल से समझ मेंआने वाली है, जिससे निर्धन लोग अपनी शिकायतों के निवारण के लिए कानूनी प्रक्रिया का सहारा नहीं ले पाते।इस प्रकार की दिक्कतों को दूर करने के लिए मंत्रालय ने न्याय पंचायत विधेयक लाने का प्रस्ताव किया है।प्रस्तावित न्याय पंचायतें न्याय की अधिक जनोन्मुखी और सहभागिय प्रणाली सुनिश्चित करेंगी, जिनमेंमध्यस्थता, मेल-मिलाप और समझौते की अधिक गुंजाइश होगी। भौगौलिक और मनोवैज्ञानिक रूप से लोगों केअधिक नजदीक होने के कारण न्याय पंचायतें एक आदर्श मंच संस्थायें साबित होंगी, जिससे दोनों पक्षों औरगवाहों के समय की बचत होनी, परेशानियां कम होंगी और खर्च भी कम होगा। इससे न्यायपालिका पर काम काबोझ भी कम होगा।
पंचायत महिलाशक्ति अभियान
यह निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों (ईडब्ल्यूआर) के आत्मविश्वास और क्षमता को बढाऩे की योजना है ताकि वे उनसंस्थागत, समाज संबंधी और राजनीतिक दबावों से ऊपर उठकर काम कर सकें, जो उन्हें ग्रामीण स्थानीयस्वशासन में सक्रियता से भाग लेने में रोकते हैं। बाइस राज्यों में कोर (मुख्य) समितियां गठित की जा चुकी हैं औरराज्य स्तरीय सम्मेलन हो चुके हैं। योजना के तहत 9 राज्य समर्थन केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है। ये राज्यहैं-- आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ , हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, सिक्किम, केरल, पश्चिम बंगाल और अंडमान एवंनिकोबार द्वीप समूह। योजना के तहत 11 राज्यों में प्रशिक्षण के महत्त्व के बारे में जागरूकता लाने के कार्यक्रम होचुके हैं। ये राज्य हैं-- आंध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ग़ोवा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, मणिपुर, केरल, असम, सिक्किम और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह।
सभागीय स्तर के 47 सम्मेलन 11 राज्यों (छत्तीसगढ़, ग़ोवा, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, सिक्किम, मणिपुर, उत्तराखंड , पश्चिम बंगाल और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह) में आयोजित किए गए हैं।गोवा और सिक्किम में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों और निर्वाचित युवा प्रतिनिधियों (ईडब्ल्यूआर्स ईवाईआर्स) के राज्य स्तरीय संघ गठित किये जा चुके हैं।
ग्रामीण व्यापार केन्द्र (आरबीएच) योजना
भारत में तेजी से हो रहे आर्थिक विकास को ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से पहुंचाने के लिएमें आरबीएच योजना शुरू की गई थी। आरबीएच, देश के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विकास का एक ऐसासहभागिय प्रादर्श है जो फोर पी अर्थात पब्लिक प्राईवेट पंचायत पार्टनरशिप (सरकार, निजी क्षेत्र, पंचायतभागीदारी) के आधार पर निर्मित है। आरबीएच की इस पहल का उद्देश्य आजीविका के साधनों में वृद्धि के अलावाग्रामीण गैर-कृषि आमदनी बढाक़र और ग्रामीण रोजगार को बढाव़ा देकर ग्रामीण समृद्धि का संवर्धन करना है।
2007 राज्य सरकारों के परामर्श से आरबीएच के अमल पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित करने के लिए 35 जिलों काचयन किया गया है। संभावित आरबीएच की पहचान और उनके विकास के लिए पंचायतों की मदद के वास्ते गेटवेएजेन्सी के रूप में काम करने हेतु प्रतिष्ठित संगठनों की सेवाओं को सूचीबद्ध किया गया है। आरबीएच की स्थापनाके लिए 49 परियोजनाओं को विभागीय सहायता दी जा चुकी है। भविष्य में उनका स्तर और ऊंचा उठाने के लिएआरबीएच का मूल्यांकन भी किया जा रहा है। (पसूका)
पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष (बीआरजीएफ)
इस योजना के तहत अनुदान प्राप्त करने की अनिवार्य शर्त विकेन्द्रीकृत, सहभागिय और समग्र नियोजन प्रक्रियाको बढाव़ा देना है। यह विकास के अन्तर को पाटता है और पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) और उसकेपदाधिकारियों की क्षमताओं का विकास करता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि स्थानीयआवश्यकताओं को पूरा करने में बीआरजीएफ अत्यधिक उपयोगी साबित हुआ है और पीआरआई‘ज तथा राज्योंने योजना तैयार करने एवं उन पर अमल करने का अच्छा अनुव प्राप्त कर लिया है। बीआरजीएफ के वर्षके कुल 4670 करोड़ रुपए के योजना परिव्यय में से 31 दिसबर, 2009 तक 3240 करोड़ रुपए जारीकिये जा चुके हैं।
ई-गवर्नेंस परियोजना
2009-10 एनईजीपी के अन्तर्गत ईपीआरआई की पहचान मिशन पद्धति की परियोजनाओं के ही एक अंग के रूप में की गईहै। इसके तहत विकेन्द्रीकृत डाटाबेस एवं नियोजन, पीआरआई बजट निर्माण एवं लेखाकर्म, केन्द्रीय और राज्यक्षेत्र की योजनाओं का क्रियान्वयन एवं निगरानी, नागरिक-केन्द्रित विशिष्ट सेवायें, पंचायतों और व्यक्तियों कोअनन्य कोड (पहचान संख्या), निर्वाचित प्रतिधिनियों और सरकारी पदाधिकारियों को ऑन लाइन स्वयं पठन माध्यम जैसे आईटी से जुड़ी सेवाओं की सम्पूर्ण रेंज प्रदान करने का प्रस्ताव है। ईपीआरआई में आधुनिकता औरकार्य कुशलता के प्रतीक के रूप में पीआरआई में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाने और व्यापक आईसीटी (सूचना संचारप्रविधि) संस्कृति को प्रेरित करने की क्षमता है।
ईपीआरआई में सभी 2.36 लाख पंचायतों को तीन वर्ष के लिए 4500 करोड़ रुपए के अनन्तिम लागत सेकम्प्यूटरिंग सुविधाएं मय कनेक्टिविटी (सम्पर्क सुविधाओं सहित) के प्रदान करने की योजना है। चूंकि पंचायतें, केन्द्र राज्यों के कार्यक्रमों की योजना तैयार करने तथा उनके क्रियान्वयन की बुनियादी इकाइयां होती हैं, ईपीआरआई, एक प्रकार से, एमएमपी की छत्रछाया के रूप में काम करेगा। अतः सरकार, ईएनईजीपी के अन्तर्गतईपीआरआई को उच्च प्राथमिकता देगी। देश के प्रायः सभी राज्यों (27 राज्यों) की सूचना और सेवाआवश्यकताओं का आकलन, व्यापार प्रक्रिया अभियांत्रिकी और विस्तृत बजट रिपोर्ट पहले ही तैयार की जा चुकीहैं और परियोजना पर अब काम शुरू होने को ही है।
महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण
राष्ट्रपति ने 4 जून, 2009 को संसद में अपने अभिभाषण में कहा था कि वर्ग, जाति और लिंग के आधार पर अनेकप्रकार की वर्जनाओं से पीड़ित महिलाओं को पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण के फैसले से अधिक महिलाओं कोसार्वजनिक क्षेत्र में प्रवेश का अवसर प्राप्त होगा। तद्नुसार मंत्रिमंडल ने 27 अगस्त, 2009 को संविधान की धाराघ को संशोधित करने के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया ताकि पंचायत के तीनों स्तर की सीटों और अध्यक्षोंके 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित किये जा सकें। पंचायती राज मंत्री ने 26 नवम्बर, 2009 कोलोकसभा में संविधान (एक सौ दसवां) सशोधन विधेयक, 2009 पेश किया।
243 वर्तमान में, लगभग 28.18 लाख निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों में से 36.87 प्रतिशत महिलायें हैं। प्रस्तावितसंविधान संशोधन के बाद निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या 14 लाख से भी अधिक हो जाने की आशा है।
पंचायती राज संस्थाओं को कार्यों, विभाग और पदाधिकारियों का हस्तान्तरण
पंचायतें जमीनी स्तर की लोकतांत्रिक संस्थायें हैं और कार्यों, विभाग तथा पदाधिकारियों के प्रभावी हस्तांतरण सेउन्हें और अधिक सशक्त बनाए जाने की आवश्यकता है। इससे पंचायतों द्वारा समग्र योजना बनाई जा सकेगी औरसंसाधनों को एक साथ जुटाकर तमाम योजनाओं को एक ही बिन्दु से क्रियान्वित किया जा सकेगा।
ग्राम सभा का वर्ष
पंचायती राज के 50 वर्ष पूरे होने पर 2 अक्तूबर, 2009 को समारोह का आयोजन किया गया। स्वशासन में ग्रामसभाओं और ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के महत्व को देखते हुए 2 अक्तूबर, 2009 से 2 अक्तूबर, 2010 तक की अवधि को ग्राम सभा वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। ग्राम सभाओं की कार्य प्रणाली मेंप्राथमिकता सुनिश्चित करने के सभी संभव प्रयासों के अतिरिक्त, निम्नलिखित कदम उठाए जा रहे हैं--पंचायतों, विशेषतः ग्राम सभाओं के सशक्तीकरण के लिए आवश्यक नीतिगत, वैधानिक और कार्यक्रम परिवर्तन, पंचायतों मेंअधिक कार्य कुशलता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु सुव्यवस्थित प्रणालियों और प्रक्रियाओं कोऔर ग्राम सभाओं तथा पंचायतों की विशिष्ट गतिविधियों को आकार देना और ग्राम सभाओं तथा पंचायतों कीविशिष्ट गतिविधियों के बारे में जन-जागृति फैलाना।
न्याय पंचायत विधेयक, 2010
वर्तमान न्याय प्रणाली, व्ययसाध्य, लम्बी चलने वाली प्रक्रियाओं से लदी हुई, तकनीकी और मुश्किल से समझ मेंआने वाली है, जिससे निर्धन लोग अपनी शिकायतों के निवारण के लिए कानूनी प्रक्रिया का सहारा नहीं ले पाते।इस प्रकार की दिक्कतों को दूर करने के लिए मंत्रालय ने न्याय पंचायत विधेयक लाने का प्रस्ताव किया है।प्रस्तावित न्याय पंचायतें न्याय की अधिक जनोन्मुखी और सहभागिय प्रणाली सुनिश्चित करेंगी, जिनमेंमध्यस्थता, मेल-मिलाप और समझौते की अधिक गुंजाइश होगी। भौगौलिक और मनोवैज्ञानिक रूप से लोगों केअधिक नजदीक होने के कारण न्याय पंचायतें एक आदर्श मंच संस्थायें साबित होंगी, जिससे दोनों पक्षों औरगवाहों के समय की बचत होनी, परेशानियां कम होंगी और खर्च भी कम होगा। इससे न्यायपालिका पर काम काबोझ भी कम होगा।
पंचायत महिलाशक्ति अभियान
यह निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों (ईडब्ल्यूआर) के आत्मविश्वास और क्षमता को बढाऩे की योजना है ताकि वे उनसंस्थागत, समाज संबंधी और राजनीतिक दबावों से ऊपर उठकर काम कर सकें, जो उन्हें ग्रामीण स्थानीयस्वशासन में सक्रियता से भाग लेने में रोकते हैं। बाइस राज्यों में कोर (मुख्य) समितियां गठित की जा चुकी हैं औरराज्य स्तरीय सम्मेलन हो चुके हैं। योजना के तहत 9 राज्य समर्थन केन्द्रों की स्थापना की जा चुकी है। ये राज्यहैं-- आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ , हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, सिक्किम, केरल, पश्चिम बंगाल और अंडमान एवंनिकोबार द्वीप समूह। योजना के तहत 11 राज्यों में प्रशिक्षण के महत्त्व के बारे में जागरूकता लाने के कार्यक्रम होचुके हैं। ये राज्य हैं-- आंध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ग़ोवा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, मणिपुर, केरल, असम, सिक्किम और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह।
सभागीय स्तर के 47 सम्मेलन 11 राज्यों (छत्तीसगढ़, ग़ोवा, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, सिक्किम, मणिपुर, उत्तराखंड , पश्चिम बंगाल और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह) में आयोजित किए गए हैं।गोवा और सिक्किम में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों और निर्वाचित युवा प्रतिनिधियों (ईडब्ल्यूआर्स ईवाईआर्स) के राज्य स्तरीय संघ गठित किये जा चुके हैं।
ग्रामीण व्यापार केन्द्र (आरबीएच) योजना
भारत में तेजी से हो रहे आर्थिक विकास को ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से पहुंचाने के लिएमें आरबीएच योजना शुरू की गई थी। आरबीएच, देश के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विकास का एक ऐसासहभागिय प्रादर्श है जो फोर पी अर्थात पब्लिक प्राईवेट पंचायत पार्टनरशिप (सरकार, निजी क्षेत्र, पंचायतभागीदारी) के आधार पर निर्मित है। आरबीएच की इस पहल का उद्देश्य आजीविका के साधनों में वृद्धि के अलावाग्रामीण गैर-कृषि आमदनी बढाक़र और ग्रामीण रोजगार को बढाव़ा देकर ग्रामीण समृद्धि का संवर्धन करना है।
2007 राज्य सरकारों के परामर्श से आरबीएच के अमल पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित करने के लिए 35 जिलों काचयन किया गया है। संभावित आरबीएच की पहचान और उनके विकास के लिए पंचायतों की मदद के वास्ते गेटवेएजेन्सी के रूप में काम करने हेतु प्रतिष्ठित संगठनों की सेवाओं को सूचीबद्ध किया गया है। आरबीएच की स्थापनाके लिए 49 परियोजनाओं को विभागीय सहायता दी जा चुकी है। भविष्य में उनका स्तर और ऊंचा उठाने के लिएआरबीएच का मूल्यांकन भी किया जा रहा है। (पसूका)
No comments:
Post a Comment