सशक्तिकरण की पहली सीढ़ी यही से शुरू होती है कि आप अपने बारे में जानकारी मांगने लगें, आप प्राप्त जानकारी की सत्यता की परख करने लगें, महिलाओं के मन में सवाल थे जिन्हें वे सामने लाकर जवाब चाहती थी। मैंने यथासंभव उनके सवालों के जवाब दिए।
सदस्यों की बात सुनकर बड़ा संतोष हुआ, शायद हम सब इसी की लिए काम कर रहे हैं। हमारी कोशिशें अब रंग ला रही हैं ये महसूस होने लगा है। दूसरा सवाल है अपने भावनाओं की अभिव्यक्ति का , बुंदेलखंड जैसे सपाट मानसिकता वाले क्षेत्र में यदि महिलायें तेजस्विनी के समूहों से जुड़कर अलग सोच रही हैं तो हमें आशा की किरण दिखाई देती है, इसमें एक और बात नजर आई की हमारी सदस्याएं अब कुछ अलग हटकर सोचने लगीं हैं मसलन स्पीकरफ़ोन से बात करना शायद हम में से किसी के दिमाग में नहीं था, वाकई ये तो नया आइडिया है।
हमें ये बात भी दिमाग में रखना होगी की समय बदल गया है अब हम समूह से बात करना है तो ये भी ध्यान रखना होगा की समय के साथ हर जगह परिवर्तन आए हैं , परंपरागत तौर तरीकों के साथ नए संचार के साधन भी हमारी बात को प्रभावी बनने में मददगार हो सकते हैं। हमें अपने कार्यकर्ताओं को कुछ हटकर करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए जिससे वे और बेहतर परिणाम दे सकें ।
बधाई सभी को खासकर संस्था Development Alternative की कार्यकर्ता सारिका नायक को जिसके प्रयासों से समूह में ये बदलाव आया ।
संजीव परसाई, संचार अधिकारी, राज्य कार्यालय,
e mail - sanjeev.persai@gmail.com
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